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मनुस्मृति/हिंदू धर्म में महिलाओं को अधिकार नहीं थे"ऐसा कहने वाले मूर्खों को पता ही नहीं कि पश्चिमी देशों में भी महिलाओं को अधिकार 19वीं और 20वीं शताब्दी में ही मिले हैं!1. अमेरिका में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार 1920 में मिला! जबकी ब्रिटेन में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार 1928 में मिला!2. अमेरिका में 1869 में ही महिलाओं को पहली बार वकालत करने की इजाजत मिली!3. 1900 में अमेरिका में महिलाओं को right to property और अपनी कमाई पर अधिकार मिला!4. 1923 में अमेरिका में equal rights amendment के अंतर्गत महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिले!5. 1969 में "divorce by mutual consent" का कानून बना!ध्यान दीजिए: लगभग हर देश में 19वीं शताब्दी तक महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था! कहीं कुछ पेशों को अपनाने की आज़ादी नहीं थी, कहीं पैंट पहनने की! कहीं गाड़ी चलाने की आज़ादी नहीं थी, कहीं शादी या तलाक लेने की!यानी कि महिलाओं की स्थिति हर देश में लगभग एक जैसी ही थी! और साफ़ है कि इसका देश या धर्म या जाति से कोई लेना देना नहीं था!
Meet Dakshayani Velayudhan
-She was the 1st dalit woman elected to Constituent Assembly in 1946!
-She was 34 yrs at that time!
-She had BSc chemistry degree from Maharaja’s College in Ernakulam & was a govt school teacher!
& REMEMBER:
This was before Baba Saheb or constitution!
BTW, she was AGAINST the idea of Reservation or Separate electorates!!
& She opposed Ambedkar!
Wish people had listened to her, instead of Baba ji
• • •
"वो तो बाबा साहब ने ही तुम्हें अधिकार दिये, वरना तुम आज अनपढ़ होती, बर्तन मांज रही होती"
-ये कथन अम्बेडकरवादी अकसर महिलाओं को कहते नज़र आते हैं!
काश इन्होंने अपने जीवन में कभी ढंग से पढ़ाई की होती तो इनको पता होता होता कि महिलाओं को अधिकार 1950 के बाद नहीं मिले! ना ही इसमें सिर्फ एक आदमी का योगदान है!
दरअसल ये एक मिलीजुली कोशिश का नतीज़ा है, जो बरसों पहले शुरू हुई थी!
हिंदू कोड बिल और उसकी पूरी सच्चाई()
1. महिला अधिकारों के लिए कानून 18वीं शताब्दी से ही बनने शुरू हो चुके थे! 1829 से लेकर 1949 तक कई कानून बने!
2. चूंकि ये सारे कानून अलग अलग समय पर, अलग अलग स्थान पर बने, इसलिए इनको एक साथ लाने की ज़रूरत हुई!
3. हिंदू कोड बिल का काम इन सारे कानूनों को एक जगह कर उनमें uniformity लाना था!
4. हिंदू कोड बिल के प्रावधान सिर्फ शादी, तलाक, मेंटेनेंस (तलाक के बाद) और पैतृक सम्पति के अधिकारों से जुड़े हैं! इस बिल का महिला शिक्षा, सती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या वगैरह जैसे विषयों से कोई लेना-देना नहीं!
5. हिंदू कोड बिल को दरअसल B N Rau ने बनाया था, 1946 में इसे पेश किया गया, लेकिन लागू नहीं किया गया!
6. 1948 में आज़ादी के बाद नई कमिटी डॉ अम्बेडकर के नेतृत्व में बनी, जिन्होंने इसी बिल में संशोधन कर संविधान सभा में पेश किया! बिल पास करवाने में डॉ अम्बेडकर का अहम योगदान था!
ये रहे वो महिला कानून जो विभिन्न समय पर बने
1829-सती प्रथा पर रोक
1829-कन्या भ्रूण हत्या पर रोक
1856-हिंदू विधवा विवाह कानून (Hindu widow remarriage act)
1872-Special marriage act (दो धर्मों के लोगों के बीच शादी को।मान्यता)
1874-Married woman property act (शादी शुदा महिलाओं को अपनी कमाई/सम्पत्ति पर अधिकार)
1891-Age of consent for marriage act (शादी की उम्र 10 से 12 साल की गई)
1937-Hindu women's right to property act (विधवा महिलाओं को स्वर्गीय पति की सम्पत्ति में बराबर अधिकार)
1946-Hindu marriage disabilities removal act (एक ही गोत्र के लोगों के बीच शादी को मान्यता)
1946-Hindu married women's right to separate residence & maintenance act (यानी अगर पति छोड़ दे तो अलग घर/गुजारे भत्ते का अधिकार)
1946-Prevention of hindu bigamous marriage act (सिर्फ़ एक शादी को मान्यता)
1947-Bombay hindu divorce act
1949-Hindu marriage validating act (अंतरजातीय विवाह को मान्यता)
1949-Child marriage restraint act (शादी की उम्र 14 से 15 की गई)
यानी ये सारे कानून 1950 में पहली बार नहीं बने, बल्कि पहले से ही थे!
हिन्दू कोड बिल का काम बस इनको एक जगह लाकर compact और uniform बनाना था!
सबसे ज़रूरी बात जो लोगों को मालूम भी नहीं-
हिन्दू कोड बिल का पहला प्रारूप BN Rau ने बनाया था!
-1941 में BN Rau के नेतृत्व में एक कमिटी के गठन हुआ! इस कमिटी ने Hindu marriage और intestate succesion पर 2 बिल बनाये थे!
-1944 में इसी कमिटी को सारे हिन्दू कानूनों को codify करने की जिम्मेदारी दी गई! इस कमिटी में देश में घूम-घूम कर कई लोगों, विभिन्न संस्थाओं, वकीलों इत्यादि की राय जानी और इसी के आधार पर हिंदू कोड बिल तैयार किया!
-इस बिल को 1946 और 1947 में पेश किया गया, लेकिन बिल पास नहीं हुआ!
-1947-1949 के बीच भी कुछ नए कानून बने! 1948 में आज़ादी के पश्चात संविधान सभा ने डॉ अम्बेडकर के नेतृत्व में नई कमिटी के गठन किया जिसको इसी हिन्दू कोड बिल को फिर से परिष्कृत और संशोधितकर पेश करना था!
-फिर डॉ अम्बेडकर ने इसी बिल में संशोधन किए ताकि इसे ज़्यादा असरदार बनाया जा सके! 1947 में इसे संविधान सभा में पेश किया गया!
-लगभग 4 साल तक इस बिल पर काफ़ी चर्चा औऱ बहस हुई! लेकिन बिल पास नहीं हुआ! डॉ अम्बेडकर इससे काफी नाराज भी हुए!
-1951 में नेहरू ने इस बिल को पास करने का वादा कर चुनाव लड़ा! चुनाव जीतने के बाद 1956 तक इस बिल के विभिन्न कानून पास किये गए!
जहां तक पढ़ाई का सवाल है-हिंदू कोड बिल का पढ़ाई से कोई सम्बंध नहीं!
ध्यान रहे कि महिलाएं आज़ादी से पहले ही पढ़ रहीं थीं!
1830s में महिला पाठशालाएं चल रही थीं!
भारत की पहली महिला डॉक्टर 1885 में बनी थी! संविधान सभा में भी 15 महिला सदस्य चुनाव लड़ कर पहुँची थीं, जिनमें एक दलित महिला भी थी!
19वीं शताब्दी तक महिलाओं की ज़्यादातर शिक्षा घर पर ही होती थी! शिक्षा पर ज़्यादा ज़ोर नहीं था, लेकिन प्रतिबंध भी नहीं था!
ये बात भी ध्यान रहे कि ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों में भी था! हर देश में महिलाओं को अधिकार 19वीं शताब्दी के बाद मिलने शुरू हुए!
ज़्यादातर लोगों को ये मालूम नहीं कि पश्चिमी देशों में भी महिलाओं को अधिकार 19वीं और 20वीं शताब्दी में ही मिले हैं! जैसे की:
-अमेरिका में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार 1920 में मिला! जबकी ब्रिटेन में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार 1928 में मिला!
-अमेरिका में 1869 में ही महिलाओं को पहली बार वकालत करने की इजाजत मिली!
-1900 में अमेरिका में महिलाओं को right to property और अपनी कमाई पर अधिकार मिला!
-1923 में अमेरिका में equal rights amendment के अंतर्गत महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिले! 1969 में "divorce by mutual consent" का कानून बना!
सभी पश्चिमी देशों का हाल लगभग ऐसा ही था! हर जगह 19वीं शताब्दी तक महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था-कहीं कुछ पेशों को अपनाने की आज़ादी नहीं थी, कहीं पैंट पहनने की! कहीं गाड़ी चलाने की आज़ादी नहीं थी, कहीं शादी या तलाक लेने की! यानी कि महिलाओं की स्थिति हर देश में लगभग एक जैसी ही थी! इसका देश या धर्म या जाति से कोई लेना देना नहीं था!
हर देश में महिला अधिकारों के बदलाव 19वीं शताब्दी में ही आने शुरू हुए!
इसलिए ये बात ना सिर्फ झूठ है, बल्कि लोगों की अज्ञानता भी है कि भारत में हिंदू धर्म या मनुस्मृति की वजह से महिलाओं की स्थिति ख़राब थी!
और ये भी सही नहीं कि महिलाओं को अधिकार दिलाने में सिर्फ़ एक आदमी का योगदान था!
ध्यान रहे कि इसमें कई लोगों की मेहनत और प्रयास शामिल था!
सब को नमन
ग़लत जानकारी!
-पश्चिमी देशों में भी महिलाओं को अधिकार 19वीं और 20वीं शताब्दी में ही मिले हैं
-हिंदू कोड बिल का शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं
-हिंदू कोड बिल से पहले ही विधवा विवाह कानून और तलाक के कानून बन चुके थे
-हिंदू कोड बिल का पहला प्रारूप BN रॉव ने बनाया था (1941-1946 तक), 1948 के बाद में इसको डॉ अंबेडकर को इसे सौंपा गया, जिन्होंने इसमें संशोधन किए
हिंदू कोड बिल और उसकी पूरी सच्चाई
1. महिला अधिकारों के लिए कानून 18वीं शताब्दी से ही बनने शुरू हो चुके थे! 1829 से लेकर 1949 तक कई कानून बने!
2. चूंकि ये सारे कानून अलग अलग समय पर, अलग अलग स्थान पर बने, इसलिए इनको एक साथ लाने की ज़रूरत हुई!
3. हिंदू कोड बिल का काम इन सारे कानूनों को एक जगह कर उनमें uniformity लाना था!
4. हिंदू कोड बिल के प्रावधान सिर्फ शादी, तलाक, मेंटेनेंस (तलाक के बाद) और पैतृक सम्पति के अधिकारों से जुड़े हैं! इस बिल का महिला शिक्षा, सती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या वगैरह जैसे विषयों से कोई लेना-देना नहीं!
5. हिंदू कोड बिल को दरअसल B N Rau ने बनाया था, 1946 में इसे पेश किया गया, लेकिन लागू नहीं किया गया!
6. 1948 में आज़ादी के बाद नई कमिटी डॉ अम्बेडकर के नेतृत्व में बनी, जिन्होंने इसी बिल में संशोधन कर संविधान सभा में पेश किया! बिल पास करवाने में डॉ अम्बेडकर का अहम योगदान था!
ये रहे वो महिला कानून जो अलग-अलग समय पर बने
1829-सती प्रथा पर रोक
1829-कन्या भ्रूण हत्या पर रोक
1856-हिंदू विधवा विवाह कानून (Hindu widow remarriage act)
1872-Special marriage act (दो धर्मों के लोगों के बीच शादी को।मान्यता)
1874-Married woman property act (शादी शुदा महिलाओं को अपनी कमाई/सम्पत्ति पर अधिकार)
1891-Age of consent for marriage act (शादी की उम्र 10 से 12 साल की गई)
1937-Hindu women's right to property act (विधवा महिलाओं को स्वर्गीय पति की सम्पत्ति में बराबर अधिकार)
1946-Hindu marriage disabilities removal act (एक ही गोत्र के लोगों के बीच शादी को मान्यता)
1946-Hindu married women's right to separate residence & maintenance act (यानी अगर पति छोड़ दे तो अलग घर/गुजारे भत्ते का अधिकार)
1946-Prevention of hindu bigamous marriage act (सिर्फ़ एक शादी को मान्यता)
1947-Bombay hindu divorce act
1949-Hindu marriage validating act (अंतरजातीय विवाह को मान्यता)
1949-Child marriage restraint act (शादी की उम्र 14 से 15 की गई)
यानी ये सारे कानून 1950 में पहली बार नहीं बने, बल्कि पहले से ही थे!
हिन्दू कोड बिल का काम बस इनको एक जगह लाकर compact और uniform बनाना था!
सबसे ज़रूरी बात जो लोगों को मालूम भी नहीं
हिन्दू कोड बिल का पहला प्रारूप BN Rau ने बनाया था!
-1941 में BN Rau के नेतृत्व में एक कमिटी के गठन हुआ! इस कमिटी ने Hindu marriage और intestate succesion पर 2 बिल बनाये थे!
-1944 में इसी कमिटी को सारे हिन्दू कानूनों को codify करने की जिम्मेदारी दी गई! इस कमिटी में देश में घूम-घूम कर कई लोगों, विभिन्न संस्थाओं, वकीलों इत्यादि की राय जानी और इसी के आधार पर हिंदू कोड बिल तैयार किया!
-इस बिल को 1946 और 1947 में पेश किया गया, लेकिन बिल पास नहीं हुआ!
-1947-1949 के बीच भी कुछ नए कानून बने! 1948 में आज़ादी के पश्चात संविधान सभा ने डॉ अम्बेडकर के नेतृत्व में नई कमिटी के गठन किया जिसको इसी हिन्दू कोड बिल को फिर से परिष्कृत और संशोधितकर पेश करना था!
-फिर डॉ अम्बेडकर ने इसी बिल में संशोधन किए ताकि इसे ज़्यादा असरदार बनाया जा सके! 1947 में इसे संविधान सभा में पेश किया गया!
-लगभग 4 साल तक इस बिल पर काफ़ी चर्चा औऱ बहस हुई! लेकिन बिल पास नहीं हुआ! डॉ अम्बेडकर इससे काफी नाराज भी हुए!
-1951 में नेहरू ने इस बिल को पास करने का वादा कर चुनाव लड़ा! चुनाव जीतने के बाद 1956 तक इस बिल के विभिन्न कानून पास किये गए!
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