तथैव द्रोणपुत्रस्य तदस्त्रं तिग्मतेजस:।
प्रजज्वाल महाज्वालं तेजोमंडल संवृतम।।
निर्घाता बहवश्चासन् पेतुरुल्का: सहस्त्रश:।
महद् भयं च भूताणां सर्वेषां समजायत।।
सशब्द्म्भवम व्योम ज्वालामालाकुलं भृशम। चचाल च मही कृत्स्ना सपर्वतवनद्रुमा।।
(सौप्तिक पर्व श्लोक 8,9,10)
प्रचंड तेजस्वी द्रोण पुत्र का अस्त्र भी बड़ी बड़ी ज्वालाओं के साथ जलने लगा। बारम्बार वज्रघात के समान शब्द होने लगे, आकाश से सहस्त्रों उल्काएं टूट कर गिरने लगी और समस्त प्राणियों में भय छा गया। सारा आकाश आग की प्रचंड ज्वाला से व्याप्त हो गया और पर्वत वन आदि समेट पृथ्वी हिलने लगी।
महर्षि वेदव्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 वर्षों तक पर्जन्य वृष्टि (जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति) नहीं हो पाती।' महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए।
महाभारत लगभग ५००० वर्ष पुराना है। अगर ये परमाणु बम था तो वो विज्ञान कहा गया ? अगर महाभारत लिखा जा सकता है तो परमाणु बम बनाने की विधी भी लिखीं जा सकती थी ।
ये परमाणु बम की बजाये अग्नि बम ज़्यादा लगता है